महाशिवरात्रि का महत्व
अगर आपका जवाब झुकाव अध्यात्म की तरफ है तो अनायास ही महादेव आप को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और अगर अध्यात्म अध्यात्मिक ना हो तो भी महादेव से मोहित हुए बिना रह नहीं सकते। शिव आदि गुरु कहलाए जाते हैं। शिव वह शुन्य की अवस्था है जहां मनुष्य आत्मबोध करता है एवं परमात्मा से एकसार होने का अनुभव करता है। वैसे तो हर चंद्र माह की चौदस को अथवा अमावस से एक दिवस पहले शिवरात्रि होती है किंतु फाल्गुन मास में आने वाली चौदस की रात्रि महाशिवरात्रि कहलाती है । पूरे वर्ष भोले के भक्त उत्सुक होकर महाशिवरात्रि की प्रतीक्षा करते हैं पौराणिक कथा अनुसार महाशिवरात्रि के दिन अग्नि के शिवलिंग के रूप में शिव प्रकट हुए थे जिनका ना तो कोई आदि और ना ही अंत था । यह रात्रि शिव एवं शक्ति के मिलन के रूप में भी शिवभक्त अति उत्साह से मनाते हैं, इस रात्रि को माँ पार्वती और भगवान शकंर के विवाह की रात्रि के रुप में भी मनाई जाती हे । इस वर्ष एक अद्भुत संयोग इस महाशिवरात्रि पर बन रहा हे, महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 18-02-2023 को मनाया जाएगा। और उस दिन शनिवार होने से इसकी महत्ता और बढ जाती हे। शनि पहले से ही कुम्भ राशि में विद्यमान हैं एवं सूर्य भी कुम्भ राशि में 13-02-2023 को प्रवेश करेगा। मेष, कन्या एवं कुम्भ लग्न वालों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इस महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभीषेक करें। पितृ दोष शांति, काल सर्प दोष शांति एवं गण्ड मूल नक्षत्र शांति को भी विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष के उपाय का भी विशेष महत्व है। रुद्राक्ष साक्षात शिव के अश्रुओं से उत्पन्न हुआ होने के कारण साक्षात शिव का रूप माना जाता है। लग्न राशि अनुसार रुद्राक्ष धारण करने पर शिव की विशेष कृपा होती है।
सिंह: 1 मुखी एवं 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
कर्क: दो मुखी एवं गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
वृश्चिक एवं मेष: तीन मुखी एवं 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
कन्या एवं मिथुन: चार मुखी धारा गणेश रुद्राक्ष करना चाहिए।
धनु एवं मीन: 5 मुखी रुद्राक्ष 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
वृषभ एवं तुला: 6 मुखी एवं 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
मकर व कुंभ: 7 मुखी एवं 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
महाशिवरात्रि कि सब पाठकों को हार्दिक शभकामनाएं।
शुभम् भवतु
पं. जयन्त रावल
ज्यातिष गणेशा