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शनि गोचर 2025 के प्रभाव, साढ़ेसाती और उपाय

by Jayant.Rawal | Apr 3, 2025 | General | 0 comments

वैदिक ज्योतिष की रहस्यमय दुनिया में हर नया साल एक अनोखी खगोलीय ब्रह्मांडीय ऊर्जा लेकर आता है जो न केवल व्यक्तियों को बल्कि राष्ट्रों को भी प्रभावित करती है। जैसा कि हम नए साल 2025 में प्रवेश कर चुके हैं और एक तिमाही बीत चुकी है और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई घटनाओं की श्रृंखला देखी है। इस प्रकार इस वर्ष 2025 में प्रमुख ग्रह परिवर्तन होंगे, जिनमें से पहला शनि का कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर होगा। शनि 2.5 वर्ष के बाद एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है और 30 वर्षों में 12 राशियों का चक्कर पूरा करता है। यह 29 मार्च 2025 को 21:40 बजे होगा, इसके अलावा, इस विशेष दिन के लिए कुछ और ज्योतिषीय महत्वपूर्ण बिंदु हैं, इस दिन शनि अमावस्या होगी, इस दिन सूर्य ग्रहण होगा, शनि अस्त होगा क्योंकि वह सूर्य के करीब होगा और 29 मार्च 2025 को 21:40 बजे तक मीन राशि में 5 ग्रह सूर्य, चन्द्र, राहु, बुध और शुक्र होंगे और 6वां ग्रह शनि क्लब में प्रवेश करके षडग्रही योग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह न्यायाधीश के रूप में कार्य करते है, जो व्यक्तियों के कर्म के अनुसार परिणाम देता है। यह कर्म, अनुशासन, प्रतिबंध, वैराग्य और दीर्घकालिक फल देने वाला ग्रह है। और मीन राशि आध्यात्मिकताए, अंतर्जन, सपनों, रचनात्मकता से जुड़ी राशि है। मीन राशि में 2025 का यह शनि गोचर व्यक्ति या राष्ट्रों के दृष्टिकोण को बदल देगा।

शनि साढ़े साती कब होता है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि साढ़े साती 7.5 वर्ष की ज्योतिषीय अवधि है जो तब होती है जब शनि व्यक्ति की जन्म कुंडली में उसकी जन्म चंद्र राशि से 12 वें घर, पहले घर या दूसरे घर में गोचर करता है, यह चरण 7.5 वर्षों तक रहता है क्योंकि शनि प्रत्येक राशि में 2. 5 वर्षों तक रहता है। शनि साढ़े साती का पहला चरणः यह 2.5 वर्षों के लिए साढ़े साती का प्रारंभिक चरण है। इस अवधि के दौरान शनि चंद्रमा से 12वें घर में है। इस अवधि के दौरान व्यक्ति को वित्तीय हानि, अज्ञात शत्रुओं से हानि, अनुत्पादक यात्रा या प्रियजनों से अलगाव हो सकता है। 29 मार्च 2025 से मेष राशि के व्यक्ति इस चरण से गुज़रेंगे, बिना किसी परिणाम के अनावश्यक खर्च और यात्रा में वृद्धि के प्रति सचेत रहें। आपको किसी अज्ञात कारण से भय लग सकता है।

शनि साढेसाती और शनि ढैय्या के उपाय

शास्त्रों में दिए गए उपायों के माध्यम से शनि की साढ़ेसाती और शनि ढैय्या के प्रभाव को कम करने अथवा उनका सामना करने की शक्ति मिलती है। शनि साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिएए जन्म कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार दान, पूजा, व्रत और मंत्र आदि जैसे उपाय किए जा सकते हैं। शनिवार को काला कंबल उड़द की दाल काले तिल चमड़े के जूते काला कपड़ा लोहा या नीलम दान किया जा सकता है। शनिवार को भगवान हनुमान की पूजा करें भगवान हनुमान को चोला आंगी, सिंदूर और तेल चढ़ाएं। तिल के तेल से भगवान हनुमान का तैलाभिषेक भी कर सकते हैं। आवश्यकतानुसार सुंदरकांड हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें। शनिवार को व्रत रखें और व्रत के दिन केवल उड़द की दाल काले तिल से बनी चीजें काला नमक और फल ही खाएं। स्वयं या किसी अच्छे ब्राह्मण पंडित के माध्यम से शनिदेव का मंत्र जाप करवा सकते हैं शनि साढ़े साती द्वितीय चरणः यह 2.5 वर्ष की शनि साढ़े साती का चरम समय है। इस अवधि के दौरान शनि जन्म के चंद्र राशि के भाव से भ्रमण करता है। यह शनि साढ़े साती का सबसे कठिन समय होता है, जिसमें व्यक्ति को मानसिक तनाव, संबंधों में अशांति, चरित्र हनन, बाधाएं, करियर में रुकावटें, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों में उलझ सकते हैं। शनि साढ़े साती तृतीय चरणः यह 2.5 वर्ष की शनि साढ़े साती का अंतिम चरण है। इस चरण में शनि व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा से दूसरे घर से गोचर करता है। यह चरण पिछले दो की तुलना में थोड़ा आरामदायक है। व्यक्ति पहले दो चरणों का सामना करने के बाद थोड़ा राहत महसूस करता है, लेकिन इस चरण में भी व्यक्ति निर्णय लेने और वित्तीय तनाव में उलझन महसूस करता है।

शनि की छोटी पनौति का अर्थ भी समझे

शनि की छोटी पनौति का अर्थ है कि यदि शनि किसी की जन्म कुंडली में जन्म के चंद्र राशि से चौथे या आठवें घर से गोचर करता है जिसे शनि की ढैय्या या छोटी पनौति के रूप में जाना जाता है और इसकी अवधि केवल 2.5 वर्ष है। 29 मार्च 2025 से छोटी पनौति सिंह और धनु राशि वालों के लिए होगी और उन्हें 2.5 साल तक इसका सामना करना पड़ेगा। सिंह राशि वाले व्यक्तियों को अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि शनि आठवें भाव में गोचर करेगा। शेयर बाजार या प्रॉपर्टी में धन निवेश करने में सावधानी रखें, घाटे का निवेश हो सकता है। धनु राशि वाले व्यक्तियों के लिए शनि का गोचर चतुर्थ भाव में हो रहा है। इस वर्ष संपत्ति के रखरखाव और नए निर्माण पर काफी खर्च हो सकता है। इससे आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी।

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